जाने कैसी ये होली है
आँसू में रंग घुला बैठे जाने कैसी ये होली है
उम्मीदों को बहला बैठे जाने कैसी ये होली है
दंगों की आहट होते ही दुल्हन विधवा हो जाती है
फिर भी हम माँग सजा बैठे जाने कैसी ये होली है
हाथों में एक मशाल लिए आँखों में लाख सवाल लिए
कितने खुद को पिघला बैठे जाने कैसी ये होली है
मंदिर का रंग लगे फ़ीका मस्जिद का रंग उड़ा सा है
खूं से इनको नहला बैठे जाने कैसी ये होली है
रंगों के इस बाज़ार से वो जब भी गुज़रे हैं चुपके से
अपना हर रंग छुपा बैठे जाने कैसी ये होली है
दुनियाँ के रंग निराले हैं दिखते सफ़ेद जो काले हैं
किस रंग से रंग मिला बैठे जाने कैसी ये होली है
रोटी के रंगों की कीमत भूखों ने पूछा जब उनसे
व्यापारी थे झुझला बैठे जाने कैसी ये होली है
बेबस ममता के रंगों की पहचान करेगी क्या दुनियाँ
जब बेटे ही झुठला बैठे जाने कैसी ये होली है
इस भीड़ में गाँधी बुद्ध नहीं हमें शांति चाहिए युद्ध नहीं
नन्हा सा मन दहला बैठे जाने कैसी ये होली है
बस तीन रंग के दीवाने 'मर्मज्ञ' शहीदों की होली
हम भूल गए बिसरा बैठे जाने कैसी ये होली है
होली की अनन्त शुभकामनाएं.........
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ