आप सभी के अमूल्य विचारों की प्रतीक्षा के साथ !
आतंकवाद: अंतिम भाग
जब से आकाश उनका हुआ है,
पंख नीलाम करने लगे हैं!
हादसों की ख़बर सुन के बच्चे,
पैदा होने से डरने लगे हैं!
दूध माँ ने पिलाया तो होगा,
थपकियाँ दे सुलाया तो होगा!
गिर पड़े जब खड़े होते होते,
दौड़ उसने उठाया तो होगा!
वो समाई है इन धड़कनों में,
जिसकी साँसें पिए जा रहे हो!
नोच कर दूध के स्तनों को,
क़त्ल माँ का किये जा रहे हो!
कुछ यहाँ कुछ वहां तन-बदन है,
लाश पर हर पलक बिन नयन है!
लाल धरती पर रोया गगन है,
हर जनाज़ा यहाँ बेकफ़न है!
चीख़ उभरी है फिर वादियों में,
ख़ून फिर से बहा बन के पानी!
लाख ख़ूनी कलम आज़मा लो,
लिख न पाओगे कोई कहानी!
तेरी आँखों के सैलाब होंगे !
जब तेरे स्वप्न भी चूर होंगे,
तुम भी रोने को बेताब होगे !
साँस आधी है धड़कन अधूरी,
फिर भी जीने की कोशिश है पूरी!
रात गुज़रेगी इस 'रात' की भी,
बस दीया है जलाना ज़रूरी!
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ