सभी इष्ट-मित्र, शुभचिंतकों को श्री गणेश चतुर्थी की अनंत शुभ-कामनाएं एवं ईद-उल-फितर की दिली मुबारकबाद !
ज्ञानचंद मर्मज्ञ
मेरे बारे में
- ज्ञानचंद मर्मज्ञ
- Bangalore, Karnataka, India
- मैंने अपने को हमेशा देश और समाज के दर्द से जुड़ा पाया. व्यवस्था के इस बाज़ार में मजबूरियों का मोल-भाव करते कई बार उन चेहरों को देखा, जिन्हें पहचान कर मेरा विश्वास तिल-तिल कर मरता रहा. जो मैं ने अपने आसपास देखा वही दूर तक फैला दिखा. शोषण, अत्याचार, अव्यवस्था, सामजिक व नैतिक मूल्यों का पतन, धोखा और हवस.... इन्हीं संवेदनाओं ने मेरे 'कवि' को जन्म दिया और फिर प्रस्फुटित हुईं वो कवितायें,जिन्हें मैं मुक्त कंठ से जी भर गा सकता था....... !
मेरी प्रथम काव्य कृति : मिट्टी की पलकें
रौशनी की कलम से अँधेरा न लिख
रात को रात लिख यूँ सवेरा न लिख
पढ़ चुके नफरतों के कई फलसफे
इन किताबों में अब तेरा मेरा न लिख
- ज्ञान चंद मर्मज्ञ
_____________________
शनिवार, 11 सितंबर 2010
सदस्यता लें
संदेश (Atom)