ज्ञानचंद मर्मज्ञ

मेरे बारे में

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Bangalore, Karnataka, India
मैंने अपने को हमेशा देश और समाज के दर्द से जुड़ा पाया. व्यवस्था के इस बाज़ार में मजबूरियों का मोल-भाव करते कई बार उन चेहरों को देखा, जिन्हें पहचान कर मेरा विश्वास तिल-तिल कर मरता रहा. जो मैं ने अपने आसपास देखा वही दूर तक फैला दिखा. शोषण, अत्याचार, अव्यवस्था, सामजिक व नैतिक मूल्यों का पतन, धोखा और हवस.... इन्हीं संवेदनाओं ने मेरे 'कवि' को जन्म दिया और फिर प्रस्फुटित हुईं वो कवितायें,जिन्हें मैं मुक्त कंठ से जी भर गा सकता था....... !
!! श्री गणेशाय नमः !!

" शब्द साधक मंच " पर आपका स्वागत है
मेरी प्रथम काव्य कृति : मिट्टी की पलकें

रौशनी की कलम से अँधेरा न लिख
रात को रात लिख यूँ सवेरा न लिख
पढ़ चुके नफरतों के कई फलसफे
इन किताबों में अब तेरा मेरा न लिख

- ज्ञान चंद मर्मज्ञ

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गुरुवार, 4 नवंबर 2010

दीपावली


ज्योति पर्व दीपावली के शुभ अवसर पर  आप सभी  को हार्दिक मंगलकामनाएं ! 

दीपावली की जगमगाहट में हम जीवन की खुशियाँ  ढूढने की कोशिश करतें हैं ! हर घर के दीये की रोशनी एक हो सकती है मगर उसकी कहानी अलग अलग ! दीये तो मुखौटे नहीं पहनते मगर उसे जलाने  वाला इन्सान  एक नहीं कई कई मुखौटे अवश्य पहनता है!

आज इन्ही दीयों के माध्यम से अपने आस पास की सच्चाई की कुछ तस्वीरें उकेरने की कोशिश कर रहा हूँ !
आप सब के आशीर्वाद  एवं विचारों की बेसब्री से प्रतीक्षा  रहेगी !     






                      लगता है  दीवाली है  यारो 

      हर  दीप  सवाली है  यारो
      लगता है  दीवाली है  यारो

           दिल  काला है तो होने दो
           चेहरे  पर लाली  है  यारो

      वो फूलों का कातिल निकला 
      जो बाग़ का  माली है यारो  

           बेटे  के  हाथों फिर  धोखा
           माँ  भोली - भाली है यारो 

      जो  आधे ज्ञान  पे इतराए 
      वो  आधा खाली  है  यारो

           इंसानों  की इस बस्ती  में
           हर  चेहरा जाली  है  यारो

      गेहूँ की  रोटी  खाने  को  
      सोने की  थाली  है  यारो

           उनके  भाषण से  देश चले 
           बजने  को  ताली है  यारो

      वो जंगल काट  कहें  देखो
      कितनी  हरियाली है  यारो

           कुछ दिन भी है धुंधला धुंधला 
           कुछ रात भी  काली  है यारो 

            

                  -ज्ञानचंद मर्मज्ञ 

11 टिप्‍पणियां:

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

ज्ञान चंद जी... बहुत अच्छी ग़ज़ल..कुछखोयेमूल्यों को पुनः तलाशती ग़ज़ल!!

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

आपको दीपवाली की हार्दिक
शुभकामनायें .....सादर

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सटीक!!


सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल 'समीर'

DIMPLE SHARMA ने कहा…

बहुत अच्छी रचना, आपको भी दीपावली की शुभकामनाये
sparkindians.blogspot.com

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर रचना, दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें।

मनोज कुमार ने कहा…

बेहतरीन।
चिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
हरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो॥
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
सादर,
मनोज कुमार

Aruna Kapoor ने कहा…

बहुत सुंदर गजल!...दिपावली की हार्दिक शुभ-कामनाएं!

ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…

आदरणीय सलिल जी,चैतन्य जी,समीर जी,प्रवीण जी,मनोज जी,डा.अरुणा जी,और संगीतापुरी जी,
आप सभी को मेरा मनोबल बढाने हेतु कोटिशः धन्यवाद !
दीपावली की अनंत शुभकामनायें!
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ

Shabad shabad ने कहा…

दीपावली की शुभकामनाये !

Surendra Singh Bhamboo ने कहा…

आपको,सभी ब्लॉगर मित्रों, पाठकों व उनके परिवार जनों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं

Kunwar Kusumesh ने कहा…

सामयिक और सुन्दर लेखन

यश, वैभव, सम्मान में,करे निरंतर वृद्धि.
दीवाली का पर्व ये , लाये सुख - समृद्धि.
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.

कुँवर कुसुमेश