26 जनवरी 2011 :62 वाँ गणतंत्र दिवस

इसीलिए आज उन तमाम ग़ुमनाम बलिदानियों की याद में यह गीत इस देश के तिरंगे को समर्पित करता हूँ क्योंकि उन्हें हम आप भले ही न जानते हों मगर इस तिरंगे को तो सब मालूम है !
सबसे ऊँचा गगन का सितारा, उससे ऊँचा तिरंगा हमारा !
सबसे ऊँचा गगन का सितारा, उससे ऊँचा तिरंगा हमारा !
जिन शहीदों ने इसको सँवारा,उनको शत-शत नमन है हमारा !
जब भी लहराए ये आसमाँ में,
कोई दुश्मन दिखे ना जहाँ में,
मिट गए वो मिटाने जो आये, गोरे हारे सिकंदर भी हारा !
जब हवा बह चली बन के आँधी,
कोई बिस्मिल बना कोई गाँधी,
है ये हिम्मत,यही है वो ताक़त, जिसका तूफ़ान समझे इशारा !
जब समंदर हुआ था गुलाबी,
रंग इसका हुआ इन्क़लाबी,
क्यों न हो धन्य धरती वहाँ की,जिस धरा पर बहे क्रांति-धारा !
लेके ख्वाहिश जिए जा रहे हैं,
आराज़ू ये किये जा रहे हैं,
फिर से क़ुर्बान होंगे इसी पर, जब कभी जन्म लेंगे दुबारा !
सो चुके अब बहुत जाग जाओ,
सीख लो राष्ट्र के गीत गाओ,
जिनको आता नहीं 'जन-गण-मन', अब करेंगे ना उनको गंवारा !
फेंक देते जो 'मर्मज्ञ' हँसकर,
एक कपड़े का टुकड़ा समझकर,
रह सकेंगे ना वो इस ज़मीं पर, लौट जाएँ जहाँ हो ग़ुजारा !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ