दिल में जो धड़क जाए उसे जान समझ लेना
मिटटी को मेरे रूप की पहचान समझ लेना
दुश्मन को भी गले से लगा लें जहाँ के लोग
उस देश को बस अपना हिन्दुस्तान समझ लेना.
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
7 टिप्पणियां:
waah!!!
kya baat hai... maza aa gaya... :)
ati sundar
मिट्टी को मेरे रूप की पहचान समझ लेना....बिल्कुल ही नया प्रयोग.अति-सुंदर.
बहुत सुंदर गहन अभिब्यक्ति /दिल को छु गई /बहुत अच्चा लिखा आपने /इतनी अच्छी रचना के लिए बधाई आपको /
please visit my blog.thanks.
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सटीक मुक्तक
बहुत खूब ....
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