tag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post8394155493685781788..comments2023-09-23T13:07:16.022+05:30Comments on मर्मज्ञ: "शब्द साधक मंच": आत्मदाहज्ञानचंद मर्मज्ञhttp://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comBlogger46125tag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-6566635745129376222011-03-17T15:19:21.705+05:302011-03-17T15:19:21.705+05:30bahut sunder....bahut sunder....poojahttps://www.blogger.com/profile/08487375202677671417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-63059359322079042842011-03-11T23:17:33.148+05:302011-03-11T23:17:33.148+05:30बहुत खूब भाई जी !! शुभकामनायेंबहुत खूब भाई जी !! शुभकामनायेंSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-48609376344677929232011-03-11T20:27:44.639+05:302011-03-11T20:27:44.639+05:30अच्छी कविता आपने गलत समय पर पोस्ट कर दिया भाई मर्म...अच्छी कविता आपने गलत समय पर पोस्ट कर दिया भाई मर्मग्य जी यह समय रंग गुलाल का है मेरा आशय आपकी आलोचना करना नही है होली की शुभकामनाओं के साथ आपका दोस्तजयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-13319982560074986092011-03-11T19:46:33.264+05:302011-03-11T19:46:33.264+05:30क्षणों का हिसाब लगा कर जीने का खेल, एक बार निर्तल ...क्षणों का हिसाब लगा कर जीने का खेल, एक बार निर्तल वर्मा से सीखें.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-66069026905069696962011-03-11T18:10:12.272+05:302011-03-11T18:10:12.272+05:30मेरी क्रांति को मुक्त कर दो!
मुझे मेरा वह अणु लौटा...मेरी क्रांति को मुक्त कर दो!<br />मुझे मेरा वह अणु लौटा दो,<br />जिसकी आँच में <br />अपने लहू को खौलाकर फिर से पी सकूँ ,<br />और आत्मदाह की पीड़ा से मुक्त होकर<br />कम से कम क्षण भर और जी सकूँ !<br /><br />बहुत सुंदर लिखा है आपने क्या भाव हैं?रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-90278414430274576172011-03-11T17:21:40.105+05:302011-03-11T17:21:40.105+05:30एक मुक्कमल कविता.. बहुत बढ़िया..एक मुक्कमल कविता.. बहुत बढ़िया..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-40232902467570547312011-03-10T16:28:03.323+05:302011-03-10T16:28:03.323+05:30Hamesh ki tarah shandar.
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पैरों तले जमीन ...Hamesh ki tarah shandar.<br />---------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">पैरों तले जमीन खिसक जाए!</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-67148837586730791662011-03-09T20:04:44.926+05:302011-03-09T20:04:44.926+05:30antas ki lizlizati socho aur kashmokash se nikalti...antas ki lizlizati socho aur kashmokash se nikalti ek behtareen rachna ka srijan.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-44818409508257492512011-03-09T17:27:43.116+05:302011-03-09T17:27:43.116+05:30ओह क्या बात कही है.....
असंख्य व्यथित ह्रदय के भा...ओह क्या बात कही है.....<br /><br />असंख्य व्यथित ह्रदय के भावों को आपने शब्दों में बाँध अभिव्यक्ति दी है...<br /><br />साधुवाद आपका...<br /><br />अद्वितीय रचना...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-43760560969471643522011-03-09T13:45:02.270+05:302011-03-09T13:45:02.270+05:30"मगर आज
मैं तुम्हारा राजाज्ञा-पत्र तुम्हें ..."मगर आज <br />मैं तुम्हारा राजाज्ञा-पत्र तुम्हें वापस करता हूँ <br />तुम<br />मेरी क्रांति को मुक्त कर दो <br />मुझे mera vah अणु लौटा दो "<br /><br />बहुत सुन्दर........मर्म को स्पर्श करती ......सार्थक शब्द साधनासुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-87233926310159028172011-03-09T07:52:19.133+05:302011-03-09T07:52:19.133+05:30.
मुझे मेरा वह अणु लौटा दो,
जिसकी आँच में
अपने लह....<br /><br />मुझे मेरा वह अणु लौटा दो,<br />जिसकी आँच में<br />अपने लहू को खौलाकर फिर से पी सकूँ ,<br />और आत्मदाह की पीड़ा से मुक्त होकर<br />कम से कम क्षण भर और जी सकूँ ...<br /><br />!wow!..Outstanding creation !<br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-59110048616803370882011-03-09T00:25:20.767+05:302011-03-09T00:25:20.767+05:30फिर भी मेरा विश्वास
हाथों में बहारों का राजाज्ञा...फिर भी मेरा विश्वास <br /> हाथों में बहारों का राजाज्ञा -पत्र लिए यूँ ही <br /> राजमहल की सड़कों पर पसरे-पसरे <br />उस सोने की मेहराब को देखता रहा ,<br />जिसका कम से कम एक अणु <br />मेरे संकल्प का पुनर्जनम है ,<br /><br />बहुत बढिया प्रस्तुति...बधाई ।Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-66770556491719324042011-03-08T23:13:59.891+05:302011-03-08T23:13:59.891+05:30मर्मज्ञ जी बहुत गहरे पैठ कर लिखे हैं
मैं तुम्हारा...मर्मज्ञ जी बहुत गहरे पैठ कर लिखे हैं <br />मैं तुम्हारा राजाज्ञा-पत्र तुम्हें वापस करता हूँ,<br /> तुम<br /> मेरी क्रांति को मुक्त कर दो!<br /> मुझे मेरा वह अणु लौटा दो,<br /> जिसकी आँच में <br /> अपने लहू को खौलाकर फिर से पी सकूँ ,<br /> और आत्मदाह की पीड़ा से मुक्त होकर<br /> कम से कम क्षण भर और जी सकूँ !Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-10245489778544980402011-03-08T22:31:40.447+05:302011-03-08T22:31:40.447+05:30एक अलग ही भाव-संसार में ले जाती कविता..... बहुत सु...एक अलग ही भाव-संसार में ले जाती कविता..... बहुत सुन्दर...<br />हार्दिक बधाई।Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-79180076049051297022011-03-08T19:14:22.775+05:302011-03-08T19:14:22.775+05:30तुम
मेरी क्रांति को मुक्त कर दो!
...तुम<br /> मेरी क्रांति को मुक्त कर दो!<br /> मुझे मेरा वह अणु लौटा दो,<br /> जिसकी आँच में <br /> अपने लहू को खौलाकर फिर से पी सकूँ ,<br /> और आत्मदाह की पीड़ा से मुक्त होकर<br /> कम से कम क्षण भर और जी सकूँ !<br /><br />बहुत गहन अभिव्यक्ति..लाज़वाब रचना..आपकी लेखनी को नमन..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-45730427959273695222011-03-08T18:18:58.114+05:302011-03-08T18:18:58.114+05:30भावनाएं,
अनियंत्रित चुम्बकीय मान्यताओं...भावनाएं,<br /> अनियंत्रित चुम्बकीय मान्यताओं से चिपक कर ठूँठ हो गयीं <br /> और सपने ,<br /> आँखों की गहराई नापते-नापते सागर की सच्चाई हो गए !<br /> फिर भी मेरा विश्वास <br /> हाथों में बहारों का राजाज्ञा -पत्र लिए यूँ ही <br /> राजमहल की सड़कों पर पसरे-पसरे <br /> उस सोने की मेहराब को देखता रहा ,<br /><br />आप वाकई मर्मज्ञ हैं भावनाओं को अभिव्यक्त करने में|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-68850532161513621122011-03-08T14:32:23.527+05:302011-03-08T14:32:23.527+05:30मेरी क्रांति को मुक्त कर दो!
मुझे मेरा वह अणु लौटा...मेरी क्रांति को मुक्त कर दो!<br />मुझे मेरा वह अणु लौटा दो,<br />जिसकी आँच में<br />अपने लहू को खौलाकर फिर से पी सकूँ ,<br />और आत्मदाह की पीड़ा से मुक्त होकर<br />कम से कम क्षण भर और जी सकूँ <br />अंतर्मन की पीड़ा की बहुत गहन अभिव्यक्ति. बेहतरीन रचनासुनील गज्जाणीhttps://www.blogger.com/profile/12512294322018610863noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-57914445000638058052011-03-08T11:37:22.642+05:302011-03-08T11:37:22.642+05:30एक विश्वास के टूटन से सुदृढ हो रहा दूसरा विश्वास!एक विश्वास के टूटन से सुदृढ हो रहा दूसरा विश्वास!कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-38283291881287055352011-03-08T08:12:14.047+05:302011-03-08T08:12:14.047+05:30कोशिशें,
किसी उपग्रह से असफलता का चक्कर लगाती हुईं...कोशिशें,<br />किसी उपग्रह से असफलता का चक्कर लगाती हुईं<br />मेरे ज़ख्मों की डायरी को दीमक बनकर चाट गयीं !<br />भावनाएं,<br />अनियंत्रित चुम्बकीय मान्यताओं से चिपक कर ठूँठ हो गयीं<br />और सपने ,<br />आँखों की गहराई नापते-नापते सागर की सच्चाई हो गए !<br /><br />बहुत गहरे भाव, सुंदर कविता. बढिया प्रस्तुति के लिए बधाई.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-21756391963058940402011-03-08T07:26:14.458+05:302011-03-08T07:26:14.458+05:30अपने लहू को खौलाकर फिर से पी सकूँ ,
और आत्मदाह की ...अपने लहू को खौलाकर फिर से पी सकूँ ,<br />और आत्मदाह की पीड़ा से मुक्त होकर<br />कम से कम क्षण भर और जी सकूँ !<br />--<br />मर्मज्ञ जी!<br />आपने बहुत ही सारगर्भित रचना प्रस्तुत की है!<br />जो मन में जीवन जीने की आसा का संचार करती है!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-13365503815549137772011-03-07T18:15:51.897+05:302011-03-07T18:15:51.897+05:30मेरी क्रांति को मुक्त कर दो!
मुझे मेरा...मेरी क्रांति को मुक्त कर दो!<br /> मुझे मेरा वह अणु लौटा दो,<br /> जिसकी आँच में <br /> अपने लहू को खौलाकर फिर से पी सकूँ ,<br /> और आत्मदाह की पीड़ा से मुक्त होकर<br /> कम से कम क्षण भर और जी सकूँ !<br />बस क्षण भर जीना ही तो सुलभ नही। अन्तस की पीडा कहाँ जीने देती है। सुब्दर रचना के लिये बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-53689743707769322262011-03-07T14:32:50.746+05:302011-03-07T14:32:50.746+05:30ज्ञानचंद जी,
वाह.....वाह......सुभानाल्लाह......शब...ज्ञानचंद जी,<br /><br />वाह.....वाह......सुभानाल्लाह......शब्दों का इतना ज़बरदस्त चयन.....वाह....बहुत ही खूबसूरत लगी ये पोस्ट.....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-54468217318335137382011-03-07T14:09:50.110+05:302011-03-07T14:09:50.110+05:30आत्मदाह की पीड़ा से मुक्त होकर
कम से कम क्षण भर और...आत्मदाह की पीड़ा से मुक्त होकर<br />कम से कम क्षण भर और जी सकूँ !......<br />सुंदर ! अति सुंदर ! शब्द कम पढ़ रहे हैं !पी.एस .भाकुनीhttps://www.blogger.com/profile/10948751292722131939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-17459456313810489812011-03-07T13:54:13.920+05:302011-03-07T13:54:13.920+05:30दिल की गहराई से दर्द को हद तक महसूस कर लिखी गई कृत...दिल की गहराई से दर्द को हद तक महसूस कर लिखी गई कृति के लिये बधाई !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-77477446219166378032011-03-07T13:26:19.625+05:302011-03-07T13:26:19.625+05:30bahut badhiya rachna.........bahut badhiya rachna.........Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.com