tag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post2170814770176896114..comments2023-09-23T13:07:16.022+05:30Comments on मर्मज्ञ: "शब्द साधक मंच": आतंकवाद: भाग-२ज्ञानचंद मर्मज्ञhttp://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comBlogger54125tag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-7352708742393537522010-12-27T08:26:01.034+05:302010-12-27T08:26:01.034+05:30वह बहुत सुंदर लिखा !
किसी ने पूछा क्या बढ़ते हुए ...वह बहुत सुंदर लिखा !<br />किसी ने पूछा क्या बढ़ते हुए भ्रस्टाचार पर नियंत्रण लाया जा सकता है ?<br /><br />हाँ ! क्यों नहीं !<br />कोई भी आदमी भ्रस्टाचारी क्यों बनता है? पहले इसके कारण को जानना पड़ेगा.<br />सुख वैभव की परम इच्छा ही आदमी को कपट भ्रस्टाचार की ओर ले जाने का कारण है.<br />इसमें भी एक अच्छी बात है.<br />अमुक व्यक्ति को सुख पाने की इच्छा है ?<br />सुख पाने कि इच्छा करना गलत नहीं.<br />पर गलत यहाँ हो रहा है कि सुख क्या है उसकी अनुभूति क्या है वास्तव में वो व्यक्ति जान नहीं पाया.<br />सुख की वास्विक अनुभूति उसे करा देने से, उस व्यक्ति के जीवन में, उसी तरह परिवर्तन आ सकता है. जैसे अंगुलिमाल और बाल्मीकि के जीवन में आया था.<br />आज भी ठाकुर जी के पास, ऐसे अनगिनत अंगुलीमॉल हैं, जिन्होंने अपने अपराधी जीवन को, उनके प्रेम और स्नेह भरी दृष्टी पाकर, न केवल अच्छा बनाया, बल्कि वे आज अनेकोनेक व्यक्तियों के मंगल के लिए चल पा रहे हैं. <br />http://www.maha-yatra.com/Pushpa Bajajhttps://www.blogger.com/profile/02565462218625092508noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-85741142532929437822010-12-23T10:58:15.165+05:302010-12-23T10:58:15.165+05:30ये वही ढेर है विस्तरों का,
ख़्वाब जिन पर संवारे गए ...ये वही ढेर है विस्तरों का,<br />ख़्वाब जिन पर संवारे गए थे!<br />ख़ून के दाग़ यूँ कह रहे हैं,<br />नींद में लोग मारे गए थे!<br />.......दिल को छू लेने वाली कविता!!<br />मेरे ब्लाग पर आपके सर्वप्रथम आगमन का स्वागत एवं आभार,पी.एस .भाकुनीhttps://www.blogger.com/profile/10948751292722131939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-67972317434720274062010-12-17T19:19:07.426+05:302010-12-17T19:19:07.426+05:30दूर बिखरे हैं बागों के टुकड़े ,
गीत...दूर बिखरे हैं बागों के टुकड़े ,<br /> गीत गाते हैं रागों के टुकड़े!<br /> राख के ढेर में ढूढ़ते हैं ,<br /> अपने अपने चिरागों के टुकड़े!<br />Aapne to nishabd kar diya! Pahli baar aayi aapke blog pe. Ab to aate hee rahungee.kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-64187137836119046292010-12-11T22:15:09.592+05:302010-12-11T22:15:09.592+05:30ये वही ढेर है विस्तरों का,
ख़्...ये वही ढेर है विस्तरों का,<br /> ख़्वाब जिन पर संवारे गए थे!<br /> ख़ून के दाग़ यूँ कह रहे हैं,<br /> नींद में लोग मारे गए थे!<br />... bahut sundar ... behatreen !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-15714012289833811392010-12-11T15:12:33.436+05:302010-12-11T15:12:33.436+05:30बहुत शशक्त रचना है आपकी..मेरी बधाई स्वीकार करें......बहुत शशक्त रचना है आपकी..मेरी बधाई स्वीकार करें...<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-75745380760373904172010-12-11T09:51:25.538+05:302010-12-11T09:51:25.538+05:30@ दिगंबर नासवा जी,@ हरकीरत जी,@ सुशील जी,@ अवि जी,...@ दिगंबर नासवा जी,@ हरकीरत जी,@ सुशील जी,@ अवि जी,@ राजेश जी,@ निर्झर नीर जी,<br />आप सभी का ब्लॉग पर आकर अपने विचारों द्वारा मुझे प्रोत्साहित करने हेतु धन्यवाद और आभार !<br /><br />@ रंजना जी,<br />बहुत दिनों बाद आपको ब्लॉग पर पाकर ऐसा लगा जैसे कोई अपना घर वापस आ गया है !<br />सुस्वागतम!<br /><br />@ सतीश जी,<br />आपका स्नेह पाकर मैं धन्य हूँ !<br /><br />-ज्ञानचंद मर्मज्ञज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-48347122019928679342010-12-10T21:53:50.444+05:302010-12-10T21:53:50.444+05:30@ मर्मज्ञ भाई ,
ब्लॉग जगत में अच्छे लेखकों की कमी ...<b><br />@ मर्मज्ञ भाई ,<br />ब्लॉग जगत में अच्छे लेखकों की कमी नहीं है, मगर अच्छे दिलों की कमी अक्सर खटकती है ! लगता है आपने आकर वह कमी पूरी कर दी है , कम से कम जितना मैंने आपको समझा है, ब्लॉग जगत में दिल जीतने के साथ साथ, अपने गहरे निशान छोड़ने में समर्थ होंगे ....<br /><br />मेरी हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार करें ! <br />सादर </b>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-80535171472516665902010-12-10T13:48:16.438+05:302010-12-10T13:48:16.438+05:30ओह...अतिमर्मिक रचना...
मन भर आया...
अत्यंत प्रभावश...ओह...अतिमर्मिक रचना...<br />मन भर आया...<br />अत्यंत प्रभावशाली ढंग से आपने पीड़ा और विसंगतियों को रेखांकित किया है..<br />मर्म को छू कर झकझोरने जाने में समर्थ है रचना...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-86308455547151215042010-12-10T10:47:32.959+05:302010-12-10T10:47:32.959+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-44292379667192426812010-12-10T10:18:05.650+05:302010-12-10T10:18:05.650+05:30रौशनी की कलम से अँधेरा न लिख
रात को रात लिख यूँ सव...रौशनी की कलम से अँधेरा न लिख<br />रात को रात लिख यूँ सवेरा न लिख<br />पढ़ चुके नफरतों के कई फलसफे<br />इन किताबों में अब तेरा मेरा न लिख<br /><br /><br />ye panktiyan bahut pasand aayiनिर्झर'नीरhttps://www.blogger.com/profile/16846440327325263080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-48102539901772707542010-12-09T23:03:40.018+05:302010-12-09T23:03:40.018+05:30क्षमा करें अब इस विषय पर कविता उद्वेलित नहीं करती।...क्षमा करें अब इस विषय पर कविता उद्वेलित नहीं करती।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-439614334026250402010-12-09T21:56:40.871+05:302010-12-09T21:56:40.871+05:30वाराणसी बम धमाके के बाद बहुत जगह कवितायेँ पढ़ चूका...वाराणसी बम धमाके के बाद बहुत जगह कवितायेँ पढ़ चूका हूँ इससे सम्बंधित...लेकिन आपकी ये कविता बहुत ऊपर स्थान पाएगी...abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-37861429001049719402010-12-09T20:06:15.064+05:302010-12-09T20:06:15.064+05:30आतंकवाद की विभीषिका का मर्मस्पर्शी चित्रण आपने इन ...आतंकवाद की विभीषिका का मर्मस्पर्शी चित्रण आपने इन पंक्तियों में किया है । इसकी अगली कडी की भी प्रतिक्षा रहेगी । धन्यवाद...Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-38534402304065892012010-12-09T19:29:55.244+05:302010-12-09T19:29:55.244+05:30कल तो आँगन में किलकारियाँ थीं,
...कल तो आँगन में किलकारियाँ थीं,<br /> फूल थे और फुलवारियाँ थीं!<br /> साँस ले ली मगर ये न जाना,<br /> इन हवाओं में चिंगारियाँ थीं!<br /><br />ओह .....बेहद मर्मस्पर्शी ...<br />जिनके सपने इन बारूदों में जलकर राख़ हो गए हैं....जिनकी साँसों ने उन चिंगारियों को महसूस किया है ....उस दर्द को इतनी शिद्दत से महसूस करना और उसे शब्द देना आप जैसा कवि ही कर सकता है.....हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-33162954126483847112010-12-09T13:42:05.497+05:302010-12-09T13:42:05.497+05:30दूर बिखरे हैं बागों के टुकड़े ,
गीत गाते...दूर बिखरे हैं बागों के टुकड़े ,<br />गीत गाते हैं रागों के टुकड़े!<br />राख के ढेर में ढूढ़ते हैं ,<br />अपने अपने चिरागों के टुकड़े!<br /><br />बहुत खूब ज्ञान जी ... आतंक का वीभत्स चेहरा सामने ला कर रख दिया है आपने इस रचना में ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-65604374719818076592010-12-09T10:00:09.615+05:302010-12-09T10:00:09.615+05:30करन जी,इमरान जी,वर्मा जी,कुंवर कुसुमेश जी,अरुण जी,...करन जी,इमरान जी,वर्मा जी,कुंवर कुसुमेश जी,अरुण जी,प्रवीन जी,सलिल जी, प्रियंका जी,निर्मला जी,कैलाश जी,अनुपमा जी,आशा जी,डा.रामकुमार जी, डा.दिव्या जी, अर्चना जी, सदाजी, अश्विनी जी, सुज्ञ जी, वंदना जी, डा.रूपचंद जी, शिखा जी, सुरेन्द्र जी, सुब्रमनियम जी, सतीश जी, फिरदौस जी, अंजना जी, सुरेन्द्र जी, पूजा जी, डा.मोनिका शर्मा जी, रचना जी,राज भाटिया जी, वाणी जी , पुरुषोत्तम राय जी, और हरीश जी !<br /><br />आपके विचार मेरी लेखनी में नई उर्जा संचारित कर रहे हैं! मेरा मनोबल बढाने के लिए आप सभी के प्रति मैं कृतज्ञता पूर्वक धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ !<br />अति विनम्रता के साथ भविष्य में आपके स्नेह की आकांक्षा भी रखता हूँ !<br />-ज्ञानचंद मर्मज्ञज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-84028719046578412732010-12-09T09:33:06.806+05:302010-12-09T09:33:06.806+05:30आतंकवाद पर बहुत नुन्दर गीत। आभार,आतंकवाद पर बहुत नुन्दर गीत। आभार,हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-90414688608350222952010-12-09T09:31:57.343+05:302010-12-09T09:31:57.343+05:30पूरी कविता बहुत सुन्दर है परन्तु अन्तिम पद का बिम...पूरी कविता बहुत सुन्दर है परन्तु अन्तिम पद का बिम्ब चमत्कृत करता है।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-62609548233737537612010-12-09T08:13:32.275+05:302010-12-09T08:13:32.275+05:30आतंक का समय छोटा हो भले ही , घाव गहरे देता है ...
...आतंक का समय छोटा हो भले ही , घाव गहरे देता है ...<br />आतंकवाद की वेदना को अच्छी तरह प्रस्तुत कर रहे हैं आप !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-22206293085237912952010-12-09T00:17:05.127+05:302010-12-09T00:17:05.127+05:30आतंकवाद का दर्द झेलते लोगो का दुख आप की रचना मे झल...आतंकवाद का दर्द झेलते लोगो का दुख आप की रचना मे झलकता हे, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-83603844142123353632010-12-08T23:06:29.610+05:302010-12-08T23:06:29.610+05:30मार्मिक, दर्द की अभिव्यक्ति सशक्त रचनामार्मिक, दर्द की अभिव्यक्ति सशक्त रचनारचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-6101953363964461432010-12-08T21:08:47.659+05:302010-12-08T21:08:47.659+05:30मार्मिक..भावपूर्ण प्रस्तुति..मार्मिक..भावपूर्ण प्रस्तुति.. डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-27264500073994734742010-12-08T20:51:56.755+05:302010-12-08T20:51:56.755+05:30बहुत ही बेहतरीन रचना...बहुत ही बेहतरीन रचना...POOJA...https://www.blogger.com/profile/03449314907714567024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-55069845212788375062010-12-08T20:40:12.591+05:302010-12-08T20:40:12.591+05:30achi abhivyakti...!achi abhivyakti...!सुरेन्द्र "मुल्हिद"https://www.blogger.com/profile/00509168515861229579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7761994389985259866.post-19617246450662740702010-12-08T19:51:21.370+05:302010-12-08T19:51:21.370+05:30marmik!marmik!Anjana Dayal de Prewitt (Gudia)https://www.blogger.com/profile/13896147864138128006noreply@blogger.com